(Motivational Life story)
धीरूभाई अंबानी
एक आम इंसान से खास इंसान बनने तक का सफर यूं ही नहीं तय कर लिया बल्कि इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होनें दिन-रात जी तोड़ मेहनत की और बाकी लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है।
धीरजलाल हीरालाल अंबानी जो ज्यादातर धीरूभाई अंबानी जिन्हें कौन नहीं जानता, इनकी ख्याति देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। धीरूभाई अंबानी बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह थे।
धीरूभाई अंबानी का नाम उन सफल बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार था जिन्होंने अपने दम पर सपने देखे और उन्हें हकीकत में बदलकर पूरी दुनिया के सामने यह साबित कर दिखाया कि अगर खुद पर कुछ करने का विश्वास हो तो निश्चित ही सफलता आपके कदम चूमती है। धीरूभाई अंबानी का मानना था कि
”जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं”
धीरूभाई अंबानी – Dhirubhai Ambaniने भी बड़े बिजनेस कारोबारी बनने के सपने देखे और उन सपनो को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करने लगे जिसका नतीजा है कि आज उनकी द्धारा खड़ी रिलायंस इंडस्ट्री देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और उनका परिवार देश के सबसे धनी परिवार की लिस्ट में शुमार है।
लेकिन क्या आप जानते है कि एक छोटे से व्यापारी से एक सफल और बड़े बिजनेसमैन बनने तक का सफर धीरूभाई अंबानी जी ने यूं ही नहीं तय कर लिया बल्कि उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए तमाम संघर्षों का सामना करना पड़ा।
आपको बता दें कि उन्होनें महज 300 रुपए प्रतिमाह की सैलरी के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। और देखते ही देखते वे अरबों-खरबों रुपए के मालिक बन गए। बिजनेस टाइकून धीरूभाई अंबानी के पदचिन्हों पर चलकर ही आज उनके दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी भी दुनिया के सबसे सफल बिजनेसमैन बन चुके हैं।
धीरूभाई अंबानी ने एक आम इंसान से खास इंसान बनने तक का सफर यूं ही नहीं तय कर लिया बल्कि इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होनें दिन-रात जी तोड़ मेहनत की और बाकी लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है।
बिजनेस टाइकून धीरूभाई अंबानीजी की सक्सेज स्टोरी वाकई प्रेरणा देने वाली है, धीरूभाई अंबानी जी को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई लोग सत्तारूढ़ राजनेताओं तक उनकी पहुंच को मानते हैं।
वहीं अगर धीरूभाई अंबानी की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होनें महज 10वीं क्लास तक ही पढ़ाई की थी, लेकिन उनका इरादा किसी मास्टर डिग्री हासिल करने वाले में से भी ऊंचा था।
उन्होंने अपने सच्चे दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादों के बल पर एक बड़ा व्यापारिक और औद्योगिक सम्राज्य स्थापित किया। बेहद कम समय में ही उन्होंने अपने छोटे से कारोबार को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में बदल डाला।
धीरूभाई अंबानी ने महज छोटी सी लागत से रिलायंस इंडस्ट्री की शुरुआत की थी, जो कि आज भारत में ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी कमाल दिखा रही है और तो और रिलायंस इंडस्ट्री का भारत की आर्थिक स्थिति भी मजबूत करने में भी अहम योगदान है यही नहीं रिलायंस एक भारत की बड़ी व्यवसायिक ताकत के तौर पर उभरी है।
इस बिजनेस को बढ़ाने के लिए उन्होंने कई बार बड़े-बड़े रिस्क तक उठाए और यह साबित कर दिखाया कि बिजनेस में रिस्क लेना आगे बढ़ने का एक सफल मंत्र है, बिना रिस्क लिए किसी बिजनेस को बड़ा नहीं बनाया जा सकता है।
क्या आप कभी सोच सकते हैं कि एक पकौड़ा बेचने वाला इंसान इतना बड़ा बिजनेसमैन बन सकता है। जी हां धीरूभाई अंबानी जी ने अपने कारोबार करियर की शुरुआत अपनी छुट्टियों के दिन गिरनार पर्वत पर आने वाले तीर्थयात्रियों को चाट-पकौड़े बेचकर की थी।
आपको बता दें कि इससे पहले वे फल और नाश्ता बेचने का काम करते थे लेकिन उन्हें इस काम में कुछ खास मुनाफा नहीं दिखा था तो उन्होनें सोचा कि गिरनार पर्वत एक टूरिस्ट प्लेस है जहां पर चाट -पकौड़े बेचकर वे खासा मुनाफा कमा सकते हैं।
लेकिन ये व्यापार पूरी तरह से पर्यटकों पर ही निर्भर था, जो कि साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था बाकि समय में इसमें कोई खास फायदा नहीं होता था, जिसके चलते धीरूभाई ने इस व्यापार को बंद कर दिया।
इन दोनों ही काम में कुछ खास सफलता नहीं मिलने के बाद उनके पिता नें उन्हें नौकरी करने की सलाह दी जिसके बाद वे नौकरी करने यमन चले गए, उस समय उनकी उम्र महज 16 साल थी।
धीरूभाई अंबानी ने अपनी पहली जॉब ‘A. Besse’ नामक कंपनी में एडेन शहर में महज 300 रूपये प्रति महीने की सैलरी पर ज्वाइन की थी। वहीं 2 साल बाद ‘A. Besse’ कंपनी ‘Shell Products’ की डिस्ट्रीब्यूटर बन गई और धीरुभाई का प्रमोशन हो गया और वे कंपनी के फिलिंग स्टेशन के मैनेजर बन गए।
आपको बता दें कि धीरूभाई अंबानी का शुरू से ही बिजनेस मांइडेड थे, जब वे नौकरी कर रहे थे तभी से उनकी दिलचस्पी बिजनेस की तरफ ज्यादा थी। वे हमेशा बिजनेस करने के बारे में सोचते रहते और बिजनेस के नए मौकों की तलाश में रहते थे।
बिजनेस की तरफ उनका जुझारूपन तब सामने आया जब धीरूभाई अंबानी, उस दौर के बड़े-बेड़े बिजनेसमैन की बातें सुनने और व्यापार की बारीकियों को समझऩे के के लिए 1 रुपए खर्च कर चाय पीते थे, जबकि जिस कंपनी में वे काम करते थे महज 25 पैसे में चाय मिलती थी। धीरूभाई अंबानी ने बिजनेस मैनेजमेंट की शिक्षा ली।
जब धीरूभाई अंबानी यमन में रह रहे थे उसके कुछ समय बाद यमन में आजादी के लिए आंदोलन शुरु हो गए थे, जिसकी वजह से वहां रह रहे भारतीयों के लिए व्यापार के सारे दरवाजे बंद कर दिए गए थे। जिसके बाद धीरूभाई अंबानी को साल 1962 मे यमन से भारत लौटना पड़ा।
ये दौर धीरूभाई अंबानी जी के जीवन का वो दौर था उनके पास न तो नौकरी थी और न ही कोई कारोबार की शुरुआत करने के लिए पूंजी। ऐसे में उन्होनें अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर पॉलिस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का काम शुरू किया।
इसके बाद उन्होंने महज 15 हजार रुपए की राशि के साथ रिलायंस कार्मशियल कॉरपोरेशन की शुरुआत मस्जिद बंदर के नरसिम्हा स्ट्रीट पर एक छोटे से ऑफिस के साथ की थी और यहीं से रिलायंस कंप़नी का उदय हुआ। वहीं उस समय धीरूभाई अंबानी और उनका परिवार भुलेस्वर स्थित जय हिन्द एस्टेट में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहते थे।
आपको बता दें कि शुरूआती दौर में बिजनेस टाइकून धीरूभाई अंबानी का इरादा पॉलिएस्टर यार्न को आयात करने और मसाले निर्यात करने का था। इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि रिलायंस कॉरपोरेशन का पहला ऑफिस नर्सिनाथान स्ट्रीट में बना था।
जो कि महज एक 350 स्काव्यर फीट का एक कमरा था जिसमें सिर्फ एक टेलीफोन, एक टेबल और 3 कुर्सियां थी। शुरू में उनके पास सिर्फ दो सहकर्मचारी थे और उनके काम में उनकी मद्द करते थे।
दरअसल, धीरूभाई अंबानी और चंपकलाल दमानी दोनों का स्वभाव और बिजनेस करने का तरीका एक-दूसरे से बिल्कुल अलग था इसी वजह से साल 1965 में धीरूभाई अंबानी ने चम्पकलाल दमानी के साथ बिजनेस में पार्टनरशिप खत्म कर दी । और अपने दम पर बिजनेस की शुरुआत की थी।
दरअसल चम्पकलाल दमानी एक सतर्क व्यापारी थे और उन्हें सूत बनाने के माल में कोई रूचि नहीं थी जबकि धीरूभाई अंबानी को रिस्क उठाने वाला व्यापारी माना जाता था। इसके बाद धीरूभाई अंबानी ने सूत के व्यापार में अपनी किस्मत आजमाई और सकारात्मक सोच के साथ इस बिजनेस की शुरुआत की।
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